गांव की एक गली में बिरजू नाम का एक छोटा सा बच्चा रहता था।
माता पिता खेत में मजदूरी करते थे। बहुत मुश्किल से घर का खर्च चल पाता था।
एक दिन बिरजू अपने घर के पास खेल रहा था। तभी उसे बांसुरी की आवाज सुनाई दी।
बिरजू: किशन ये बांसुरी की आवाज कहां से आ रही है?
किशन: अरे वही बांसुरी वाला आया होगा। हर दो चार दिन बाद आ जाता है गांव में बांसुरी बेचने।
बिरजू भाग कर उस ओर चल देता है। जहां से आवाज आ रही थी।
किशन: अरे खेल अधूरा छोड़ कर कहां भाग रहा है। हारने से डर
गया।
बिरजू: बेटा मुझसे तू कभी जीत नहीं सकता, रुक जा अभी आ रहा हूं।
गली के दूसरे किनारे पर बिरजू को बांसुरी वाला दिख जाता है। एक बांस के उपर की ओर छोटी बड़ी कई बांसुरी बांध रखी थी। कोई सामने से बजती थी कोई एक तरफ से।
बिरजू: कितने की बांसुरी है?
एक जवान सा आदमी, बहुत सुन्दर नयन-नक्श, उसने मुस्कुरा कर
बिरजू की ओर देखा।
बांसुरी वाला: ये सामने वाली एक रुपये की और एक तरफ बजने वाली दो रुपये की है।
बिरजू: ओह लेकिन मेरे पास तो केवल पचास पैसे हैं।
बांसुरी वाला: कोई बात नहीं तू बांसुरी लेले बाकी पैसे कल दे देना।
बिरजूः ठीक है भैया एक सामने से बजने वाली बांसुरी दे दो।
बांसुरी वाला उसके हाथ में एक सुन्दर सी बांसुरी पकड़ा देता है।
बिरजू: लेकिन भैया इसे बजाते कैसे हैं?
बांसुरी वाला: उसका एक रुपया अलग से लगेगा।
बिरजू बांसुरी को मुंह से फूंक मारने की कोशिश करता है। लेकिन वह उतनी अच्छी नहीं बजा पाता।
इधर बांसुरी वाला बांसुरी से बहुत सुन्दर आवाज में गाना सुना रहा था।
बिरजू: भैया आपने लगता है खराब बांसुरी दे दी। ये तो ढंग से बज ही नहीं रही।
बांसुरी वाला उससे बांसुरी लेता है फिर उसे पानी से धोकर बजाना शुरू कर देता है। बहुत सुन्दर गीत बजाता है। फिर बांसुरी को धोकर बिरजू को देते हुए कहता है –
बांसुरी वाला: बांसुरी तो बढ़िया है। तुझे बजानी नहीं आती।
बिरजू: सिखा दो न भैया आपका क्या जायेगा। मैं अपने दोस्तों को सिखा दूंगा वो भी बांसुरी खरीदेंगे।
बांसुरी वाला: ठीक है लेकिन एक शर्त है। ये बांसुरी दो रुपये की और दूसरी तीन रुपये की बताना। फ्री में सिखा रहा हूं। कहीं तो फायदा हो।
बांसुरी वाला बिरजू को बांसुरी बजाना सिखाता है। लेकिन बिरजू से बज नहीं पाती।
बिरजू: भैया इसमें से गाना कैसे निकलेगा।
बांसुरी वाला: अरे अभी गाना बजाना कहां से आयेगा रोज अभ्यास करोगे तब कहीं पन्द्रह दिन में निकलेगा गाना। चल अब जा कल इसी समय आ जाना।
बिरजू बांसुरी लेकर बजाने लगता है। कुछ ही देर में उसके मुंह में दर्द होने लगता है। फिर वह घर आ जाता है।
शाम को खाना खाने के बाद वह अपने पिता को बांसुरी दिखाता है।
पिता: बेटा आज के बाद किसी से भी सामान उधार मत लेना। जितने
पैसे अपने पास हों उसी में गुजारा करना चाहिये। कल जाकर उसे बाकी पैसे दे आना।
अगले दिन बिरजू बाकी के पचास पैसे लेकर बांसुरी वाले के पास पहुंच जाता है।
बांसुरी वाला उसे बांसुरी बजाना सिखाने लगता है। दस दिन बाद ही बिरजू अच्छे से बांसुरी बजाना सीख जाता है।
एक दिन बिरजू के पिता घर आकर बिरजू से कहते हैं –
पिता: बेटा तेरा दाखिला स्कूल में करा दिया है। कल से स्कूल चले जाना।
बिरजू अगले दिन से स्कूल जाने लगता है। उसके स्कूल के गेट पर कभी कभी बांसुरी वाला दिख जाता था।
बिरजू ने अपने सभी दोस्तों को बांसुरी बजा कर दिखाई और कहा कि बांसुरी वाले से बांसुरी खरीद लो फिर में बजानी सिखा दूंगा।
स्कूल के बहुत से बच्चों ने बांसुरी खरीद ली। कुछ को बिरजू
ने और कुछ को बांसुरी वाले ने बांसुरी बजाना सिखा दिया।
धीरे धीरे बिरजू स्कूल में पढ़ते पढ़ते बड़ा हो गया।
एक दिन बिरजू ने घर आकर कहा –
बिरजू: पिताजी मुझे छात्रवृति मिल गई अब मैं शहर में जाकर कॉलेज में पढ़ूंगा। बिरजू का दाखिला मेडिकल कॉलेज में हो जाता है। बिरजू बहुत मेहनत से डॉक्टर बनने की पढ़ाई करने लगता है।
एक दिन वह डॉक्टर बन जाता है। उस दिन बिरजू बहुत खुश था। लेकिन खुशी बांटने के लिये उसके घर परिवार का कोई नहीं था। वह जल्दी से अपने होस्टल गया और वहां जाकर अपनी बांसुरी निकाल कर बजाने लगा। जब भी वह गांव को याद करता बांसुरी बजाने लगता।
उसके बाद एक दिन वह गांव आया। उसके माता पिता बहुत बूढ़े हो गये थे।
बिरजू: मैं नौकरी लगते ही आपको शहर ले आउंगा। अब आपको काम करने की कोई जरूरत नहीं है।
माता पिता से मिलने के बाद बिरजू अपने दोस्तों से मिलता है –
बिरजू: अरे वो बांसुरी वाला आ गया होगा मैं उससे मिल कर आता हूं।
किशन: नहीं वह तो कई सालों से यहां नहीं आया। पता नहीं कहां है।
बिरजू: उसका कोई पता ठिकाना है तुम्हारे पास।
किशन और दूसरे दोस्त मना कर देता है। बिरजू बहुत उदास हो जाता है। बांसुरी से एक प्रेम का रिश्ता बन गया था। उस बांसुरी वाले के साथ।
कुछ दिन बाद बिरजू शहर आ जाता है। उसकी नौकरी शहर के एक अस्पताल में लग जाती है।
एक दिन बिरजू के पास एक आदमी को लाया जाता है वह बेहोश था।
बिरजू: क्या हुआ है इन्हें?
बेटा: पता नहीं बाबा को क्या हो गया। कल रात को इनकी तबियत खराब हुई थी।
बिरजू उनका चैकअप करता है। फिर कुछ टेस्ट और एक्सरे के लिये बोल देता है।
सारी रिर्पोट आने के बाद बिरजू। उनके पास पहुंचता है।
बिरजू: बाबा आपको टी.बी. की शिकायत है। कोई नशा बगैरहा करते हैं क्या?
बाबा: नहीं बेटा।
बिरजू: ठीक है अभी आप आराम कीजिये एक हफ्ते में छुट्टी मिल जायेगी उसके बाद टाईम से दवाई खाना। एक साल में ठीक हो जाओगे। लेकिन लापरवाही नहीं करना।
बाबा: बांसुरी बजा सकता हूं क्या?
बिरजू: तुम्हारे फेंफड़े बहुत कमजोर हैं। बांसुरी कैसे …
कहते कहते बिरजू रुक जाता है। वह गौर से देखता है तो ये तो बांसुरी वाला था।
बिरजू: अरे बाबा तुम?
बाबा: डॉ. साहब आप मुझे जानते हैं क्या?
बिरजू: भूल गये आपने फ्री में बांसुरी सिखाई थी मैं बिरजू।
बांसुरी वाले की आंखों से टप टप आंसू बह रहे थे।
बिरजू: चिंता मत करो ठीक हो जाओगे। लगता है बांसुरी बजा बजा कर तुम्हारे फेंफड़े कमजोर हो गये हैं।
बांसुरी वाला बिरजू से मिल कर बहुत खुश होता है। अस्पताल में उसका इलाज होने लगता है।
एक दिन बिरजू घर पर ही था। तभी फोन आया।
बिरजू अस्पताल गया तो देखा बांसुरी वाला मर चुका है। उसके हाथ में बांसुरी थी।
बिरजू: इन्हें बांसुरी किसने दी।
बेटा: डॉ. साहब बहुत जिद कर रहे थे। बोले कुछ नहीं होगा बिरजू भैया बचा लेंगे।
बिरजू की आंखों से टप टप आंसू बह रहे थे।
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