चैटGPT बनाने वाली कंपनी ओपन AI आने वाले कुछ हफ्तों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पावर्ड वेब ब्राउजर लॉन्च करने जा रही है। ओपन AI का ये ब्राउजर चैटGPT जैसे इंटरफेस में कुछ काम सीधे करेगा, यानी यूजर्स को बार-बार वेबसाइट्स पर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है। ओपनAI की योजना है कि ये ब्राउजर उनके AI प्रोडक्ट्स, जैसे 'ऑपरेटर' को ब्राउजिंग में जोड़ा जाए, जो बुकिंग या फॉर्म भरने जैसे काम कर सके। हालांकि, गूगल क्रोम का 3 अरब से ज्यादा यूजर्स के साथ 66% मार्केट शेयर है, जबकि Apple का Safari 16% के साथ दूसरे नंबर पर है। ओपनAI को इनसे कड़ी टक्कर मिलेगी। अभी चैटGPT के करीब 50 करोड़ वीकली एक्टिव यूजर्स अभी चैटGPT के करीब 50 करोड़ वीकली एक्टिव यूजर्स हैं। अगर केवल वही ओपन AI के ब्राउजर का इस्तेमाल करना शुरू कर दें तो क्रोम से होने वाली गूगल की कमाई पर भारी असर पड़ सकता है। क्योंकि गूगल क्रोम के जरिए ही बिजनेस और ऐड को टारगेट करता है। गूगल के ओपन-सोर्स कोड 'क्रोमियम' पर बना है ओपनAI ब्राउजर ये ब्राउजर गूगल के ही ओपन-सोर्स कोड 'क्रोमियम' पर बना है। क्रोमियम का इस्तेमाल क्रोम, माइक्रोसॉफ्ट एज और ओपेरा जैसे ब्राउजर्स में होता है। OpenAI ने पिछले साल गूगल क्रोम की शुरुआती टीम के दो बड़े अधिकारियों को भी हायर किया था। कंपनी ने अपना ब्राउजर बनाने का फैसला इसलिए किया, ताकि यूजर डेटा पर उनका पूरा कंट्रोल हो। हाल ही में परप्लेक्सिटी ने AI ब्राउजर 'कॉमेट' लॉन्च किया और द ब्राउजर कंपनी और ब्रेव जैसे स्टार्टअप्स भी AI ब्राउजर्स ला चुके हैं। गूगल पर पहले से ही अमेरिका में सर्च मोनोपॉली का केस चल रहा है। OpenAI ने कहा था कि अगर क्रोम बिक्री के लिए आया, तो वे इसे खरीदने में दिलचस्पी रखेंगे। फिलहाल गूगल की क्रोम बेचने की कोई योजना नहीं है। 2015 में शुरू हुई थी ओपन AI ओपन AI (Open AI) एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) डेवलप करने वाली संस्था है। इसकी स्थापना 2015 में इलॉन मस्क, सैम ऑल्टमैन और उनके कुछ दोस्तों ने मिलकर की थी। यह AI टेक्नोलॉजी विशेष रूप से जेनेरेटिव AI और लार्ज लैंग्वेज मॉडल (जैसे चैट GPT) के डेवलपमेंट के लिए जाना जाता है। कंपनी का मिशन सेफ और ह्यूमन सेंट्रिक AI डेवलप करना है। कंपनी सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में स्थित है। चैट-GPT क्या है? चैट-GPT यानी चैट जनरेटिव प्री ट्रेन्ड ट्रांसफॉर्मर। यह ओपन-AI का एक आर्टिफिशियली इंटेलिजेंट चैटबॉट है। चैट-GPT के पास हर उस सवाल का जवाब है जो इंटरनेट पर मौजूद है, लेकिन यह उसी सवाल का जवाब दे सकता है जो पहले इंटरनेट पर पूछा गया हो। यह एक सॉफ्टवेयर है, जो इंटरनेट पर मौजूद जानकारी को पढ़कर जवाब देता है। ------------------------------ ये खबर भी पढ़ें... इंटरनेट यूजर्स को मिलेगा मेड इन इंडिया वेब ब्राउजर: भारतीय कंपनी जोहो डेवलप करेगी, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट को टक्कर दे सकेंगे भारत को जल्द अपना वेब ब्राउजर मिल सकता है। इसे बनाने का जिम्मा भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी जोहो कार्पोरेशन को मिला है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने गुरुवार (20 मार्च) को इसकी घोषणा की। मंत्रालय ने स्वदेशी वेब ब्राउजर डेवलप करने के उद्देश्य से 'इंडियन वेब ब्राउजर डेवलपमेंट चैलेंज' नाम से एक प्रतियोगिता आयोजित की थी, जिसमें जोहो कार्पोरेशन ने फर्स्ट प्राइज जीता है। इसके लिए जोहो को 1 करोड़ रुपए का प्राइस मिला है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें... X की CEO लिंडा याकारिनो ने इस्तीफा दिया: प्लेटफॉर्म में कम्युनिटी नोट्स जैसे फीचर्स लाईं, अब मस्क की AI कंपनी xAI के साथ काम करेंगी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X की CEO लिंडा याकारिनो ने दो साल काम करने के बाद बुधवार (9 जुलाई) को इस्तीफा दे दिया है। लिंडा ने X पर पोस्ट शेयर कर इसकी जानकारी दी। लिंडा ने लिखा, 'वे अब ग्रोक चैटबॉट बनाने वाली मस्क की AI कंपनी xAI के साथ काम करेंगी।' हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि वे xAI में किस पद पर काम करेंगी। उन्होंने जून 2023 में ट्विटर की लीडरशिप संभाली थी, तब मस्क ने 44 बिलियन डॉलर में इस प्लेटफॉर्म को खरीदा और इसका नाम बदलकर X कर दिया। लिंडा प्लेटफॉर्म में कम्युनिटी नोट्स जैसे फीचर्स लेकर आईं और यूजर्स की सिक्योरिटी को लेकर कई बदलाव किए। लिंडा ने पोस्ट में कंपनी के मालिक इलॉन मस्क को अवसर देने के लिए धन्यवाद दिया। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...
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