भारत ने रॉयटर्स समेत 2,300-अकाउंट्स ब्लॉक करने को कहा:X का दावा- विरोध के बाद आदेश वापस लिया, सरकार ने कहा- कोई नया आदेश नहीं दिया

माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) ने मंगलवार को दावा किया कि भारत सरकार ने 3 जुलाई को 2,300 से ज्यादा अकाउंट्स को ब्लॉक करने का आदेश दिया। इस आदेश में ग्लोबल न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के ऑफिशियल हैंडल भी शामिल थे। X की ग्लोबल गवर्नमेंट अफेयर्स टीम ने एक पोस्ट में कहा कि भारत सरकार ने इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धारा 69A के तहत इन सभी अकाउंट्स को ब्लॉक करने का आदेश दिया। मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी (MeitY) ने बिना कोई कारण बताए एक घंटे के भीतर आदेश का पालन करने और अकाउंट्स को अनिश्चितकाल तक ब्लॉक रखने को कहा। जनता के विरोध के बाद आदेश वापस लिया X के अनुसार, जनता के विरोध के बाद सरकार ने रविवार को रॉयटर्स (@Reuters और @ReutersWorld) के अकाउंट्स को अन-ब्लॉक करने का अनुरोध किया। ये अकाउंट्स रविवार को भारत में यूजर्स के लिए ब्लॉक किए गए थे, लेकिन बाद में उसी दिन बहाल कर दिए गए। X ने भारत में प्रेस सेंसरशिप पर चिंता जताते हुए कहा कि वह सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है। हालांकि, भारतीय कानून के तहत X को इन सरकारी आदेशों के खिलाफ कानूनी चुनौती देने में बाधाएं हैं। कंपनी ने प्रभावित यूजर्स से अदालतों के माध्यम से कानूनी उपाय तलाशने की अपील की है। मंत्रालय का जवाब: कोई नया आदेश नहीं दिया दूसरी ओर MeitY ने X के दावों को खारिज करते हुए कहा कि 3 जुलाई को कोई नया ब्लॉकिंग आदेश जारी नहीं किया गया। मंत्रालय ने दावा किया कि जैसे ही रॉयटर्स के अकाउंट्स ब्लॉक होने की जानकारी मिली, उसने 5 जुलाई से X के साथ लगातार संपर्क में रहकर अकाउंट्स को बहाल करने की मांग की। मंत्रालय का कहना है कि X ने तकनीकी कारणों का हवाला देकर देरी की और 6 जुलाई को रात 9 बजे के बाद ही रॉयटर्स और अन्य URLs को अनब्लॉक किया, जिसमें 21 घंटे से ज्यादा समय लगा। X ने सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर किया X ने भारत सरकार के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट में मुकदमा दायर किया है, जिसमें इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के तहत जारी ब्लॉकिंग आदेशों को चुनौती दी गई है। कंपनी का कहना है कि इन आदेशों में पर्याप्त सुरक्षा उपायों की कमी है। मंगलवार को इस मामले की सुनवाई हुई है। X ने मार्च में दायर अपनी याचिका में संशोधन की मांग की है, जिसमें इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी रेगुलेशन के नियम 3(1)(d) को रद्द करने की मांग शामिल है। यह नियम सरकारी एजेंसियों को मध्यस्थों (जैसे X) को कंटेंट हटाने का आदेश देने की शक्ति देता है। X और सरकार के बीच पहले भी हो चुका है विवाद यह पहली बार नहीं है, जब X और भारत सरकार के बीच टकराव हुआ है। इस साल मई में X के ग्लोबल गवर्नमेंट अफेयर्स टीम का हैंडल भारत में ब्लॉक कर दिया गया था, जिसे एक दिन बाद अन-ब्लॉक किया गया। उस समय सरकार ने 8,000 अकाउंट्स को ब्लॉक करने का आदेश जारी किया था। कानूनी विवाद का आधार X की याचिका में कहा गया है कि धारा 79(3)(b) सरकार को मध्यस्थों को ब्लॉकिंग आदेश जारी करने का अधिकार नहीं देती। यह धारा मध्यस्थों को दी गई कानूनी छूट को हटाने की बात कहती है। अगर वे सरकार के टेकडाउन आदेशों का पालन नहीं करते। इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आर्बिट्रेटर गाइडलाइंस और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) एक्ट-2021 के नियम 3(1)(d) के साथ मिलकर यह सरकार को कंटेंट हटाने का आदेश देने की अनुमति देता है।

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