एक राज्य में मिदास (Midas) नामक एक लोभी राजा राज करता था. उसकी ‘मेरीगोल्ड’ नाम की बेटी थी, जिसे वो बहुत प्यार करता था.
मिदास के ख़जाने में ढेर सारा सोना था. इतना सोना दुनिया में किसी भी राजा के ख़जाने में नहीं था. फिर भी उसके खजाने में जितना सोना बढ़ता जाता, उसका लालच भी उतना ही बढ़ता जाता. वह पूरे दिन खजाने में रखे सोने को गिनता रहता था. इस कारण ना वह राज-पाट में ध्यान देता, न ही अपनी बेटी मेरीगोल्ड पर.
दिन पर दिन उसका सोने के लिए लालच बढ़ता जा रहा था. और अधिक सोना पाने के लिए एक बार वह उपवास रखकर भगवान की कठोर प्रार्थना करने लगा. प्रसन्न होकर भगवान ने उसे दर्शन दिये और मनचाहा वरदान मांगने को कहा.
मिदास बोला, ”हे प्रभु! मुझे वरदान दीजिये कि मैं जिस भी वस्तु हो छुऊं, वह सोने की बन जाये.”
भगवान ने मिदास के मन के अंदर का लोभ देख लिया था. इसलिए वरदान देने के पहले उन्होंने पूछा, “पुत्र! यह वरदान तुम अच्छी तरह सोच-समझ कर मांग रहे हो ना?”
“हे प्रभु! मैं दुनिया का सबसे धनी राजा बनना चाहता हूँ. मैंने अच्छी तरह सोच लिया है. मुझे यही वरदान चाहिए. कृपया मुझे वरदान प्रदान कीजिये.” मिदास ने उत्तर दिया.
“तथास्तु! मैं तुम्हें वरदान देता हूँ कि कल सूर्य की पहली किरण के साथ तुम जिस भी वस्तु को छुओगे, वह सोने की बन जायेगी.” आशीर्वाद देने के बाद भगवान अंतर्ध्यान हो गए.
राजा मिदास यह वरदान पाकर खुशी से फूला नहीं समाया. दूसरे दिन सोकर उठने के उपरांत अपनी शक्ति को परखने के लिए उसने अपने पलंग को छूकर देखा. पलंग सोने का बन गया. वह बहुत खुश हुआ. दिन भर वह महल में घूम-घूमकर हर चीज़ को सोने में बदलने में लगा रहा.
शाम तक वह थककर चूर हो चुका था. उसे जोरों की भूख लग आई थी. उसने अपने सेवकों को भोजन परोसने के लिये कहा. भोजन परोसा गया. किंतु जैसे ही उसने भोजन को हाथ लगाया, वह सोने में बदल गया. सोने को राजा कैसे खाता? भूख मिटाने के लिए उसने सेवक से फल लाने को कहा. सेवक ने सेब लाकर दिया. किंतु, जैसे ही मिदास ने सेब को छुआ, वह भी सोने का हो गया. यह देख उसे बहुत गुस्सा आया और वह उठकर महल के बगीचे में चला आया.
बगीचे में उसकी बेटी ‘मेरीगोल्ड’ खेल रही है. जब ‘मेरीगोल्ड’ ने अपने पिता को देखा, तो वह उसके पास दौड़ी चली आई और उसके गले लग गई. मिदास ने प्यार जताते हुए जैसे ही उसके सिर पर हाथ फेरा, वह सोने में बदल गई. अपनी बेटी को सोने का बना देख मिदास दु:खी हो गया और रोने लगा.
उसने फिर से भगवान से प्रार्थना की. प्रार्थना सुनकर भगवान प्रकट हुए और उससे पूछा, “राजन! क्या हुआ? अब तुम्हें क्या वरदान चाहिए?”
मिदास रो-रोकर कहने लगा, “भगवन! मुझे क्षमा करें. सोने के लोभ में मेरी बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी और मैं यह वरदान मांग बैठा था. लेकिन मेरे इस लोभ के कारण मेरी बेटी सोने में बदल गई है. मुझे मेरी बेटी वापस चाहिए. भगवन, यह वरदान वापस ले लें और मुझे मेरी पुत्री लौटा दें. मेरी आँखें खुल गई है. अब मुझमें सोने का कोई लालच नहीं. मैं अपना खजाना गरीबों और ज़रूरतमंदों के लिए खोल दूंगा.”
भगवान ने जब उसे पछताते हुए देखा, तो अपना वरदान वापस ले लिया. दूसरे दिन सूर्य की पहली किरण के साथ सारी वस्तुएं अपने असली रूप में आने लगी. मेरीगोल्ड भी अपने असली रूप में वापस आ गई. राजा मिदास ने अपने अपना खजाना गरीबों और ज़रूरतमंदों के लिए खोल दिया. उसका लालच ख़त्म हो चुका था. वह अपनी बेटी के साथ ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगा.
सीख (Moral of the story)
“लोभ का परिणाम बुरा होता है.”
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