वेबसाइट्स को साइबर-अटैक से बचाने वाली क्लाउडफ्लेयर फिर डाउन:जीरोधा, ग्रो, कैनवा यूज करने में दिक्कत हुई; 16 दिन में दूसरी बार डाउन

वेबसाइट्स को साइबर अटैक से बचाने वाली क्लाउडफ्लेयर शुक्रवार को फिर से डाउन हो गई। इससे जीरोधा, ग्रो, कैनवा, डाउंडिटेक्टर, जूम, एंजेल वन, अपस्टॉक्स जैसे कई प्लेटफॉर्म्स प्रभावित हुए। कंपनी ने कहा कि डैशबोर्ड और APIs में प्रॉब्लम है, इसके कारण आधे घंटे तक तक सिस्टम ठप रहा। इसके कारण रिक्वेस्ट फेल हुईं और यूजर्स को एरर मैसेज दिखे। यह नवंबर 18 के बाद दूसरा बड़ा आउटेज है। सर्वर डाउन होने की जानकारी देने वाली वेबसाइट डाउनडिटेक्टर पर 2,100 से ज्यादा रिपोर्ट्स आईं, जो दोपहर 1:50 बजे से शुरू हुईं। कैनवा, जूम जैसे प्लेटफॉर्म भी डाउन हुए क्लाउडफ्लेयर ने बताया कि आंतरिक सर्विस डिग्रेडेशन की वजह से डैशबोर्ड और APIs प्रभावित हैं। यूजर्स को वेबसाइट एक्सेस, सर्वर कनेक्शन और होस्टिंग में दिक्कत हो रही है। जीरोधा ने कहा कि सर्विस रिस्टोर हो गई। ग्रो ने भी कन्फर्म किया कि क्लाउडफ्लेयर आउटेज की वजह से इश्यू था। कैनवा, जूम, शॉपिफाई, वैलोरेंट, स्पॉटिफाई, चैटजीपीटी जैसे ग्लोबल प्लेटफॉर्म्स भी डाउन हुए। आउटेज करीब 30 मिनट चला। 16 दिन में दूसरी बार डाउन हुआ क्लाउडफ्लेयर इससे पहले 18 नवंबर को क्लाउडफ्लेयर की वजह से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X, AI चैटबॉट चैटजीपीटी और कैनवा की सर्विसेज देशभर में डाउन हो गईं। ये सर्विसेज मंगलवार शाम करीब 5 बजे से रात 9 बजे तक डाउन रहीं। भारत समेत दुनियाभर में यूजर्स को लॉगिन, साइनअप, पोस्ट करने और देखने के अलावा प्रीमियम सर्विसेज सहित प्रमुख सुविधाओं का उपयोग करने में दिक्कत आई। सर्वर डाउन होने की जानकारी देने वाली वेबसाइट डाउनडिटेक्टर भी बंद रही। कौन सी सर्विसेज सबसे ज्यादा प्रभावित हुईं थीं 18 नवंबर को क्लाउडफ्लेयर डाउन होने से से 1.4 करोड़ से ज्यादा वेबसाइट्स प्रभावित हुई। इनमें X, चैटजीपीटी, वॉट्सएप, इंस्टाग्राम, स्पॉटिफाई, कैनवा, क्लॉड AI, उबर, जूम शामिल थीं। क्लाउडफ्लेयर दुनिया की 20% से ज्यादा वेबसाइट्स को कंटेंट डिलीवरी नेटवर्क, सिक्योरिटी और रूटिंग सर्विस देता है। एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया की हर पांचवीं वेबसाइट को क्लाउडफ्लेयर सर्विस देता है। क्लाउड सर्विसेज और साइबर सिक्योरिटी कंपनी है क्लाउडफ्लेयर क्लाउडफ्लेयर एक ग्लोबल क्लाउड सर्विसेज और साइबर सिक्योरिटी कंपनी है। यह डेटासेंटर्स, वेबसाइट और ईमेल सिक्योरिटी, डेटा लॉस से बचाव और साइबर खतरों से सुरक्षा देती है। कंपनी खुद को “इंटरनेट का इम्यून सिस्टम” बताती है। मतलब उसकी टेक्नोलॉजी अपने क्लाइंट्स और बाकी दुनिया के बीच में बैठकर रोजाना अरबों साइबर अटैक ब्लॉक करती है। साथ ही, अपनी ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर की मदद से यह इंटरनेट ट्रैफिक को तेज भी बनाती है। कंपनी हर तिमाही में 500 मिलियन डॉलर (लगभग 4.42 हजार करोड़ रुपए) से ज्यादा की कमाई करती है। इसके करीब 3 लाख ग्राहक हैं। कंपनी चीन समेत 125 देशों में काम करती है।

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