क्या इनोवेशन की रेस में पिछड़ रहा एपल:इस बार एआई फीचर्स पर फोकस, सबसे पलता फोन लाएगा; फोल्डेबल फोन की उम्मीद नहीं

एपल 9 सितंबर को अपने लॉन्च इवेंट 'अवे ड्रॉपिंग' में आईफोन 17 सीरीज पेश करेगी। बीते कुछ साल में एपल के प्रोडक्ट्स में ज्यादा इनोवेशन नहीं दिखा है। इस बार भी कयास लगाए जा रहे हैं कि एपल छोटे-मोटे बदलावों के साथ ही इस सीरीज को पेश करने वाली है। कई लोग मानते हैं कि 2011 में कंपनी के फाउंडर स्टीव जॉब्स के निधन के बाद एपल ने कोई बड़ा इनोवेशन नहीं किया है। दूसरी तरफ, सैमसंग जैसी कंपनियां फोल्डेबल फोन्स, AI और नए हार्डवेयर के साथ तेजी से आगे बढ़ रही हैं। तो क्या अब एपल इस रेस में पिछड़ रहा है? आज की स्टोरी में इसी की पड़ताल करेंगे… चैप्टर-1 अवे डॉपिंग इस बार के इवेंट का नाम है 'अवे ड्रॉपिंग' यानी, कुछ ऐसा जो लोगों को हैरान और प्रभावित करें। इवेंट में कंपनी आईफोन17 सीरीज के चार मॉडल्स- आईफोन 17, आईफोन 17 एयर, आईफोन 17 प्रो पेश कर सकती है। इसके अलावा एपल वॉच सीरीज 11 को लॉन्च किया जा सकता है। iOS 26 भी पेश किया जा सकता है जिसमें लिक्विड ग्लास इंटरफेस आएगा। लॉन्च इवेंट से जुड़ी 5 बड़ी बातें… चैप्टर-2 इनोवेशन बीते कुछ सालों में एपल इनोवेशन में पीछे रहा हैं। स्टीव जॉब्स के जाने के बाद टिम कुक की लीडरशिप में एपल ने एयरपॉड्स (2016) और विजन प्रो (2023) जैसे प्रोडक्ट पेश किए, लेकिन कई लोग मानते हैं कि ये प्रोडक्ट्स जॉब्स के दौर की तरह रिवॉल्यूशनरी नहीं हैं। जॉब्स का दौर (1976-2011) एपल के फाउंडर स्टीव जॉब्स का कहना था- ऐसी चीजें बनाओ, जो लोग नहीं जानते कि उन्हें चाहिए। उनकी इसी थॉट प्रोसेस के कारण एपल ने रिवॉल्यूशनरी प्रोडक्ट बनाए। 2001 में आईपॉड पेश किया जिसने म्यूजिक इंडस्ट्री को डिजिटल कर दिया। 2007 में टचस्क्रीन फोन पेश किया जिसने स्मार्टफोन की परिभाषा बदल दी। 2010 में आईपैड पेश किया गया जिसने टैबलेट मार्केट को जन्म दिया। ये सभी ऐसे इनोवेशन्स थे जिसने टेक की दुनिया को कई बार नया शेप दिया। इन प्रोडक्ट्स ने लोगों के जीने का तरीका भी बदला। जॉब्स के बाद का एपल (2011-2025) टिम कुक ने 2011 में CEO की कमान संभाली। उनके नेतृत्व में एपल की वैल्यूएशन 3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंची, और कंपनी ने भारत जैसे मार्केट्स में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाई। नए प्रोडक्ट्स जैसे एपल वॉच (2014), एयरपॉड्स (2016) और एपल विजन (2023) आए, लेकिन ये प्रोडक्ट्स जॉब्स के दौर की तरह रिवॉल्यूशनरी नहीं बन पाए। आईफोन और मैकबुक अब छोटे-छोटे अपडेट्स के साथ आते हैं, जैसे बेहतर कैमरा या चिप। एपल का फोकस अब प्रोडक्ट्स को रिफाइन करने और सर्विसेज बढ़ाने पर है। चैप्टर-3 पिछड़ना 2007 में जब एपल ने पहला आईफोन लॉन्च किया, तो इसने मोबाइल फोन इंडस्ट्री में क्रांति ला दी। रातोंरात नोकिया और ब्लैकबेरी जैसे बड़े ब्रांड्स को पीछे छोड़ते हुए एपल ने बाजार पर कब्जा जमा लिया। लेकिन बीते कुछ साल में चीजें बदल रही है। सैमसेंग जैसे ब्रांड डिजाइन से लेकर फीचर्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में एपल से आगे निकल गए हैं। IDC की रिपोर्ट के अनुसार सैमसंग ने 2025 की दूसरी तिमाही में 19.7% ग्लोबल मार्केट शेयर के साथ नंबर 1 पोजीशन बनाए रखी। एपल 15.7% के साथ पर दूसरे नंबर पर रहा। एपल के सैमसंग से पिछड़ने के 2 कारण 1. सैमसंग की इनोवेशन फर्स्ट पॉलिसी सैमसंग फोल्डेबल फोन, स्टाइल इंटीग्रेशन (S पेन) और फास्ट चार्जिंग जैसे नए फीचर सबसे पहले लाया। 2019 में सैमसंग ने फोल्डेबल स्क्रीन्स वाले गैलेक्सी Z फोल्ड और Z फ्लिप लॉन्च किए थे। इसी वजह से उसकी फोल्डेबल मार्केट में लीड बनी हुई है। एपल का अभी तक कोई फोल्डेबल डिवाइस नहीं है। फोल्डेबल फोन सेगमेंट में सैमसंग का ग्लोबल मार्केट शेयर 35.4% है। 2. मार्केट ट्रेंड तेजी से फॉलो करना सैमसंग अपने कंपोनेंट्स खुद बनाता है, जिससे लागत और इनोवेशन पर कंट्रोल रहता है। इससे सैमसंग मार्केट ट्रेंड्स तेजी से अपनाता है जैसे गैलेक्सी नोट ने बड़े स्क्रीन फोन्स को पॉपुलर किया। इसके अलावा सैमसंग ने AI को भी तेजी से अपनाया। इसके गैलेक्सी AI में रियल-टाइम ट्रांसलेशन, फोटो एडिटिंग, और स्मार्टथिंग्स इकोसिस्टम जैसे फीचर्स मिलते हैं। भारत जैसे मल्टीलिंगुअल मार्केट में ये फीचर्स खूब पसंद किए जा रहे हैं। एपल का एपल इंटेलिजेंस देर से आया और अभी सीमित है। चैप्टर-4 फ्यूचर एपल अभी भले ही रिवॉल्यूशनरी इनोवेशन में पीछे दिखे, लेकिन वो कई नए प्रोडक्ट्स पर काम कर रही है, जो भारत और ग्लोबल मार्केट में उसकी पोजीशन को मजबूत कर सकते हैं: इनोवेशन में देरी से मार्केट शेयर और ब्रांड वैल्यू घट सकती है अगर एपल लंबे समय क्रांतिकारी इनोवेशन नहीं लाता, तो उसका मार्केट शेयर और ब्रांड वैल्यू कम हो सकती है। सैमसंग जैसे ब्रांड्स फोल्डेबल फोन्स और AI में आगे हैं। नोकिया और ब्लैकबेरी जैसे स्टेब्लिश ब्रांड्स तो इनोवेशन की कमी के कारण मार्केट से ही गायब हो गए थे। एपल का हाल नोकिया या ब्लैकबेरी जैसा होने की संभावना कम है, क्योंकि उसका इकोसिस्टम और फाइनेंशियल ताकत उसे बचाती है। लेकिन वो पिछड़ जरूर सकती है। नोकिया और ब्लैकबैरी क्यों डूबे नोकिया ब्लैकबैरी चैप्टर-5 चैलेंजेस एपल इंटेलिजेंस प्राइवेसी-फोकस्ड और ऑन-डिवाइस AI पर मजबूत है, लेकिन गूगल (जेमिनी), माइक्रोसॉफ्ट (कोपाइलेट) और ओपनएआई (चैटजीपीटी) क्लाउड-बेस्ड AI में आगे हैं। सिरी की तुलना में गूगल असिस्टेंट और चैटजीपीटी 25-30% ज्यादा सटीक जवाब देते हैं। एपल भारत में 14% आईफोन बना रहा है, लेकिन 87% कम्पोनेंट्स चीन से आते हैं। कोविड-19 जैसे हालात और US-चीन ट्रेड वॉर (54% टैरिफ की धमकी) सप्लाई चेन को बाधित कर सकते हैं। वियतनाम जैसे देश भारत से ज्यादा कम्पोनेंट्स बना रहे हैं।

from टेक - ऑटो | दैनिक भास्कर https://ift.tt/ujFOl8A

Post a Comment

Previous Post Next Post