शेर की सवारी

 

अमित और सुमित दोनों गहरे दोस्त थे। दोनों एक गांव में रहते थे। दोंनो के पास एक एक गधा था दोंनो गधे पर जंगल की ओर जातेथे।



जंगल से घास और लकड़ी गधों पर बांध कर गांव में लाकर बेच दिया करते थे।

गांव के लोग जानते थे कि जंगल में एक शेर है। जिसके कारण डर के मारे वो जंगल में नहीं जाते थे। शुरू शुरू में अमित और सुमित भी डरते डरते जंगल जाते थे। लेकिन बहुत दिनों तक जब उन्हें शेर नहीं दिखा तो उनका डर खत्म हो गया।

दोंनो गांव वालों के इसी डर का फायदा उठा कर जंगल से लकड़ी लाकर बेचते थे। इस तरह दोंनो की गुजर बसर हो जाती थी।

मां: बेटा तू क्यों इतना खतरनाक काम करता है। किसी दिन शेर से सामना हो गया तो तेरा क्या होगा? मेरी बात मान इस काम को छोड़ दे।

अमित: मां तुम चिन्ता मत करो एक दिन देखना मैं उसी सेर की सवारी करूंगा और उसी पर लकड़ी लेकर आउंगा।

यह सुनकर उसकी मां हसने लगती है।

मां: अच्छा अब ये सब छोड़ चल खाना खा ले।

इधर सुमित की मां भी उसे यही सब कहती है। वह भी इसी तरह मां की बात को टाल देता है।

अगले दिन दोंनो दोस्त जब जंगल की ओर जा रहे थे। तब दोंनो ने एक दूसरे की मां की बात बताई।

दोंनो को डर तो लग रहा था।अमित: यार अगर सच में ऐसा कुछ हो जाये कि हम शेर की सवारी करते हुए जंगल में जायें तो कितना मजा आयेगा। गांव वाले हमसे डर कर रहेंगे और हम हमेशा उन्हें अपने मनपसन्द भाव पर लकड़ी बेचते रहेंगे।

यह सुनकर सुमित ने कहा –

सुमित: भाई बात तो तुम्हारी ठीक है लेकिन शेर की सवारी होगी कैसे? शेर तो हमें देखते ही खा जायेगा।

अमित: मेरे पास एक तरकीब है। बस तू इतना पता कर कि शेर जंगल के कौन से हिस्से में मिल सकता है। या उसकी गुफा कहां है?

सुमित: बस इतनी सी बात है। वो देख सामने वो पहाड़ी है। हम वहीं पर जाकर शेर का इंतजार करते हैं। वहां से नदी का पूरा किनारा दिखता है। शेर कभी न कभी तो पानी पीने जरूर आता होगा।

अमित: हां बात तो तू ठीक कह रहा है। बस चल आज ही देखते हैं। इसी पहाड़ी के नीचे इन गधों को बांध देते हैं।

सुमित: लेकिन अगर कहीं शेर यहां आ गया और इन्हें खा गया।

अमित: देखा जायेगा।

दोनों पहाड़ी के उपर चढ़ जाते हैं।

बहुत देर इंतजार करने के बाद शेर पानी पीने आता है। दोंनो छुप कर उसका पीछा करने लगते हैं। फिर वह एक जगह अपनी गुफा के पास बैठ कर सोने लगता है।

अमित: बस यही मौका है। इसकी सवारी करने का।

सुमित: मरवायेगा क्या अभी ये हम दोंनो को खा जायेगा चल यहां से भागते हैं।

अमित: रुक तो सही बस मैं जैसे बोलूं तू उसका जबाब देते रहना।

अमित सुमित के कान में कुछ कहता है। फिर दोंनो उसकी गुफा की ओट में छुप कर बैठ गये और आपस में बातें करने लगे।

अमित: देख भाई अब इन दो शेरों से काम नहीं चल रहा हमें ज्यादा लकड़ी बेचनी पड़ेंगी। एक शेर और चाहिये।

शेर की आंख खुलती है। वह गौर से उनकी बातें सुनने लगता है।

सुमित: हां यार मैंने सुना है इस जंगल में एक शेर है। लेकिन दिखाई नहीं दे रहा।

अमित: अरे जैसे दो जंगल से हमने शेरों को गधा बना दिया। इसे भी बना देंगे। वो दोंनो भी तो यही कह रहे थे हम शेर हैं जंगल के राजा हैं। मेरे जादू से गधे बन गये वो देख कैसे बैठे हैं। लकड़ी लाद कर।

अगर इस जंगल का शेर आराम से मान गया तो ठीक नहीं तो जादू से उसे भी गधा बना दूंगा। लेकिन मेरे जादू में एक कमी है यह एक बार ही काम करता है। शेर को गधा तो बना सकता हूं लेकिन गधे को शेर नहीं बना सकता।

यह सुनकर शेर सोचता है। कहीं इन्होंने मुझे देख लिया और गधा बना दिया तो एक तो पूरी जिन्दगी के लिये गधा बन जाउंगा और उपर से जंगल में बदनामी हो जायेगी। सारे जानवर मजाक बनायेंगे।

शेर डरते डरते उन दोंनो के सामने जाता है। एक बार तो दोंनो डर जाते हैं।

शेर: भाई मैं गधा नहीं बनना चाहता। तुम जो बोलेगे मैं करूंगा मुझे गधा मत बनाना।

अमित की चाल कामयाब हो जाती है।

अमित: चल ठीक है तुझे छोड़ देते हैं। लेकिन तुझे हर दिन में अपने उपर बिठा कर गांव तक छोड़ना होगा। हम बहुत थक जाते हैं पैदल चलते चलते।

शेर मान जाता है। दोंनो शेर के उपर बैठ जाते हैं। दोंनो गधे आगे आगे चल देते हैं। उनके पीछे शेर पर अमित और सुमित बैठ कर गांव में पहुंच जाते हैं। उन्हें देख कर गांव वाले डर कर घरों में दुबक जाते हैं।

अमित: अरे डरो नहीं यह हमारा पालतू शेर है।

शेर दोंनो को घर छोड़ कर चुपचाप जंगल में चला जाता है।

उसके जाने के बाद पूरा गांव वहां इकट्ठा हो जाता है।

गांव वाले: भाई ये सब कैसे किया तुमने।

अमित: ये शेर हमारा गुलाम है। हम जिसे कहेंगे उसे खा जायेगा और हमारे अलावा कोई और जंगल में गया तो ये उसे मार डालेगा।

इतनी हिम्मत और मेहनत से हम लकड़ी लाते हैं। आज से लकड़ी के दाम चौगुने होंगे। जिसे लेने हों ले लो वरना खुद जंगल चले जाओ।

पूरा गांव डर जाता है और चौगुने दाम पर लकड़ी खरीदने लगता है।

अब हर दिन अमित और सुमित शेर पर सवार होकर गांव आने लगे।

अमित की मां: बेटा ये तुम ठीक नहीं कर रहे शेर को जितना बेवकूफ समझ रहे हो वो उतना है नहीं जिस दिन उसका डर निकल गया तुम्हें खा जायेगा। उसे छोड़ दो।

अमित: मां कुछ नहीं होता तुम देखना ये ऐसे ही हमारी गुलामी करता रहेगा।

धीरे-धीरे यह बात पूरे जंगल में फेल जाती है।

सारे जानवर शेर का मजाक उड़ाने लगते हैं। शेर बहुत दुःखी हो जाता है।

एक दिन उसका दोस्त सियार शेर से बात करता है। शेर उसे सारी बात बताता है। सियार छुप कर बैठ जाता है। जब अमित और सुमित लकड़ी बीन रहे थे तो वह शेर को लेकर गधों के पास जाता है।

शेर: क्यों भाई तुम कौन से जंगल के शेर हो।

गधा: हम तो जन्म के गधे हैं। ये दोंनो तुम्हें बेवकूफ बना रहे हैं।

शेर: अच्छा तुम दोंनो चुप रहना आज इन्हें बाताता हूं।

शेर दोंनो को पीठ पर बैठा कर चल देता है। रास्ते में शेर गधों से कहता है –

शेर: मुझे एक जादूगर मिल गया जो गधों को भी शेर बना देता है। तुम मेरे साथ चलो।

अमित: ये कैसे हो सकता है। यह जादू केवल हमें आता है।

शेर: अब मुझे डर नहीं है आज मैं तुम दोंनो को खा जाउंगा। फिर इन दोंनो को शेर बनवा कर इनके जंगल में छोड़ दूंगा।

अमित और सुमित की हालत खराब हो जाती है। वे शेर से माफी मांगने लगते हैं।

शेर: नहीं आज तो मैं तुम्हें खाकर ही रहूंगा।

गधे: महाराज इन्हें छोड़ दीजिये। नहीं तो हम भूखे मर जायेंगे।

शेर तरस खाकर उन दोंनो को छोड़ देता है।

शेर: आज के बाद इस जंगल में दिखाई दिये तो जिन्दा नहीं बचोगे।

दोंनो डरते डरते घर आ जाते हैं।


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