खजाने की चाबी

 

रामेश्वर जी एक छोटे से शहर में एक सरकारी दफ्तर में क्लर्क थे। एकदम इमानदार, कर्मठ और उसूलों के पक्के। दफ्तर के बाकी कर्मचारी घूसखोर, लालची किस्म के थे। हर काम के लिये आने वालें से रिश्वत लेते थे।



 रामेश्वर जी के घर में उनकी पत्नी सुधा और उनके दो पुत्र थे अविनाश और सौरभ। दोंनो पढ़ने में बहुत तेज थे। रामेश्वर जी उन्हें पढ़ा लिखा कर अफसर बनाना चाहते थे। इसलिये दफ्तर से घर आते ही दोंनो को पढ़ाने बैठ जाते थे।

 एक दिन रामेश्वर जी की दफ्तर से छुट्टी थी। पूरे घर ने उस दिन सफाई करने की ठान ली। बहुत दिनों से घर में सफाई नहीं हुई थी। सभी को काम बांट दिये गये। जैसे – सुधा को रसोई साफ करनी थी। दोंनो बेटों और रामेश्वर जी को बेडरूम और ड्राईंग रूम साफ करना था।

सबसे पहले रामेश्वर जी और उनके दोंनो बेटों ने ड्राईंग रूम को साफ किया उसके बाद वे तीनों बेडरूम में पहुंच गये। सफाई करते करते रामेश्वर जी ने बड़ा सा लकड़ी का बॉक्स निकाला उसे साफ किया। यह देख कर अविनाश ने पूछा – ‘‘पापा इसमें क्या है?’’

यह सुनकर रामेश्वर जी ने कहा कुछ नहीं बेटे बस ऐसे ही कुछ पुराना सामान है। तब सौरभ बोला – ‘‘पापा खोलो न इसे हमें भी दिखाओ क्या है इसमें।’’

रामेश्वर जी ने गुस्सा होते हुए कहा – ‘‘तुम्हें कहा न कि इसमें पुराना सामान है। जब तुम बड़े हो जाओगे। तब तुम्हें यह मिल जायेगा देखते रहना अभी नहीं।’’

अविनाश बोला – ‘‘पापा क्या आपने इसमें कोई खजाना छिपा रखा है।’’

सौरभ ने भी उसकी बात का समर्थन करते हुए कहा – ‘‘हां पापा मुझे लगता है आपने हमसे छिपा कर पैसा रख रखा है और हम इतनी गरीबी में जिन्दगी गुजार रहे हैं।’’

 रामेश्वर जी को गुस्सा तो आ रहा था लेकिन उन्होंने समझाते हुए कहा – ‘‘नहीं बेटा ऐसी बात नहीं है मैंने तुमसे कुछ नहीं छुपा रखा वैसे इसमें पैसे नहीं हैं। मेरा यकीन करो।’’

शोर सुनकर सुधा जी रसोई से बाहर आ गईं- ‘‘अरे क्या हुआ इतना शोर क्यों मचा रखा है।’’

तब तक दोंनो बच्चे गुस्सा होकर बाहर निकल जाते हैं। सुधा जी के पूछने पर रामेश्वर जी उन्हें बक्से के बारे में बताते हैं।

सुधा जी – ‘‘तो आप बक्सा खोल कर दिखा देते।’’

रामेश्वर जी ने समझाते हुए कहा – ‘‘बच्चों को अपने पिता की बात पर भरोसा होना चाहिये। अब तो ये समझो ये बक्सा नहीं तिजोरी है और खबरदार जो तुमने इसके बारे में उन दोंनो से कोई बात की।’’

दोंनो मिलकर सफाई करते हैं। दोंनो बच्चे शाम को घर वापस आते हैं। दोंनो गुस्सा थे।

अगले दिन से जैसे दुनिया ही बदल गई। दोंनो कल तक जहां अपने माता-पिता की इज्जत करते थे। वहां आज दोंनो नफरत करने लगे।

अविनाश और सौरभ को लगने लगा कि उसके पिता ने बहुत दौलत जमा कर रखी है और हमेशा गरीबी का रोना रोकर उन्हें हर चीज के लिये मना कर देते थे। वे बेचारे ये सोचकर कि पापा ईमानदार हैं रिश्वत नहीं लेते। लेकिन उनके पापा ने तो बहुत पैसा दबा कर रख रखा है।

सुबह दोंनो स्कूल चले जाते हैं। लेकिन वहां भी उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता। इधर रामेश्वर जी भी जब ऑफिस पहुंचते हैं तो उनका काम में मन नहीं लगता सुधा जी बेमन से घर का काम निबटा रही थीं।

 पूरे घर का माहौल बदल गया था। दोपहर को दोंनो बच्चे घर आते हैं। रास्ते में उन्होंने प्लान बनाया था। कि घर जाकर सबसे पहले उस बक्से की चाबी ढूंढेगे।

घर आकर उन्होंने सुधा जी से भी ढंग से बात नहीं की खाना खाकर अपने कमरे में चले गये। कुछ देर बाद सुधा जी घर का सामान लेने बाजार गईं। उनके जाते ही दोंनो ने चाबी ढूंढना शुरू कर दिया। पूरा घर छान मारा लेकिन उन्हें कहीं भी उस बड़े से ताले की चाभी नहीं मिली।

फिर सौरभ ने एक हथौड़ी लेकर ताला तोड़ना शुरू कर दिया। लेकिन पुराने जमाने का ताला था जो कि बहुत मजबूत था वह टस से मस न हुआ। दोंनो थक हार कर बैठ गये और मम्मी के आने से पहले सब कुछ पहले जैसा कर दिया।

शाम को रामेश्वर जी आये वे बच्चों को पढ़ाने बैठे। लेकिन दोंनो ने पढ़ने से मना कर दिया।

रामेश्वर जी ने सोचा बच्चे नाराज हैं कुछ दिनों में मान जायेंगे।

इसी तरह कुछ समय बीत गया। लेकिन दोंनो बच्चों का गुस्सा कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा था। अब वे दोंनो नये कपड़ों, खिलोनो के लिये जिद करने लगे। मना करने पर वह अपने माता पिता को उल्टा सीधा सुनाने लगे थे।

उनकी नजर में माता-पिता की कोई इज्जत नहीं रह गई थी।

रामेश्वर जी इस बात से बहुत दुःखी थे।

एक दिन जब अविनाश और सौरभ सो रहे थे तब रामेश्वर जी अपनी पत्नी सुधा के साथ घर छोड़ कर चले गये। जब दोंनो उठे तो देखा मेज पर एक चिट्ठी रखी है। उस पर एक बड़ी सी चाबी रखी थी।

सौरभ ने लपक कर चाबी उठा ली। अविनाश बोला – ‘‘पढ़ जरा चिट्ठी में क्या लिखा है?’’

 सौरभ ने पढ़ना शुरू किया – ‘‘बेटा अविनाश और सौरभ,

तुम्हें लगता है मैंने खजाना छिपा रखा हैं इसलिये आज ये खजाना मैं तुम्हें सौंप कर जा रहा हूं। हम दोंनो ये घर और खजाना तुम्हें देकर जा रहे हैं। तुम दोंनो हमेशा खुश रहना।’’

यह पढ़ कर दोंनो के होश उड़ गये। अविनाश – ‘‘ये हमसे बहुत बड़ी गलती हो गई अगर पापा कुछ जोड़ रहे थे तो काम तो हमारे ही आता।’’

सौरभ बोला – ‘‘भैया चलो एक बार देख ही लेते हैं कितना बड़ा खजाना है?’’

दोंनो जल्दी से बॉक्स खोलते हैं। तो देखते हैं उसमें एक डायरी रखी थी।

दोंनो उसे निकाल कर पढ़ते हैं तो उसमें उनके दादाजी ने रामेश्वरजी के लिये कुछ लिखा था।

‘‘बेटा रामेश्वर ये बातें अपने जीवन में उतारना तुम्हारा जीवन खुशियों से भर जायेगा। १. कभी झूठ मत बोलना, २. कभी बेईमानी नहीं करना, ३. कभी काम से जी मत चुराना, ४. अपने से बड़ों का सम्मान करना, ५. पैसों का कभी लालच मत करना। यही जीवन का सबसे बड़ा खजाना है यह वो दौलत है जो कोई तुमसे कभी नहीं छीन सकता।’’

दोंनो डायरी पढ़ कर रोने लगते हैं। अविनाश कहता है – ‘‘हमारे पापा अपने पिता के आदर्शों पर चल रहे थे और हम उनसे उल्टे – वे सच कह रहे थे हम झूठ समझ रहे थे।

वे इमानदारी से चल रहे थे हम उन्हें बेईमान समझ रहे थे। वे मेहनत से अपना काम करते थे, हम उन्हें रिश्वतखोर समझ रहे थे। उन्होंने कभी पैसों का लालच नहीं किया, लेकिन हम इतने लालची हैं कि पैसों के लिये माता-पिता को खो दिया।

वे अपने से बड़ों का सम्मान करते थे। हमने उनका कितना अपमान किया कि वे घर छोड़ कर चले गये।

दोंनो सब कुछ छोड़ कर माता-पिता को ढूंढने के लिये चलने की तैयारी करते हैं। घर का ताला बंद करके जैसे ही बाहर निकलते हैं। सामने से रामेश्वर जी और सुधा जी आते दिखाई देते हैं।

दोंनो बच्चे उनसे लिपट जाते हैं और रोने लगते हैं।

रामेश्वर जी कहते हैं – ‘‘बेटा तुम्हें सही रास्ते पर लाने के लिये ही हम चले गये थे।’’

दोंनो उनके पैरो में गिर कर माफी मांगने लगते हैं और उस दिन से दोंनो माता-पिता की सेवा करने लगते हैं।


___________________________________________________________________________________


Bed time stories for kids in hindi

बच्चों के लिए रोचक बेडटाइम कहानियाँ (story ) उनकी नींद को मिठास और सुखद बना देती हैं। यह कहानियाँ (stories ) उन्हें नये सपनों की उड़ान भरने का साहस और उत्साह प्रदान करती हैं। bed time stories  न केवल कहानियों हैं, बल्कि एक जादुई परंपरा हैं जो बच्चों के विकास में अत्यधिक महत्व रखती है। ये कहानियाँ एक शांत वातावरण बनाती हैं, दिन को एक शांत स्वर में समाप्त करती हैं, और मिठे सपनों के रास्ते को साफ करती हैं।

माता-पिता या अभिभावक के रूप में, bed time stories कहना बच्चों के साथ संबंध बनाने का एक अनमोल अवसर प्रदान करता है। यह एक समय है जब कल्पनाएँ विकसित होती हैं

आज की तेजी से बदलती दुनिया में, जहाँ स्क्रीन्स अक्सर अवकाश का समय नियंत्रित करती हैं, bed time stories परंपरा एक सदाबहार गर्माहट और एकता का प्रतीक है। यह एक डिजिटल शोर के बीच से एक विश्वासनीय और एकसाथ वाले समय का एक विशेष पल है, जहाँ केवल कल्पना की हलकी चमक है।

Hindi Stories, Stories In Hindi,  Hindi mortal Story, Stories for Kids, Kids Story

और भी bed time stories in hindi में पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट https://globaldeskblog.blogspot.com/ पर  जाएं।

Post a Comment

Previous Post Next Post