एक पेड़ पर एक चिड़िया अपना घोंसला बना कर रहती थी। चिड़िया
के दो छोटे छोटे बच्चे थे जो अभी उड़ना नहीं जानते थे।
चिड़िया सुबह होते ही उड़ जाती और आस पास से दाना अपनी चोंच में लेकर आती फिर अपने बच्चों के मुंह में डाल देती। जिससे बच्चों का पेट भर जाता था।
सुबह से दोपहर तक यही सिलसिला चलता रहता था। जब बच्चों का पेट भर जाता तो चिड़िया खुद दाना चुगती फिर शाम के लिये थोड़े से दाने अपनी चोंच में भर कर घोंसले में ले आती।
इतनी भाग दौड़ करने से वह चिड़िया बहुत थक जाती थी। दोपहर को मां और उसके दोंनो बच्चे आराम करते थे। शाम के समय चिड़िया दोंनो बच्चों को उड़ना सिखाती थी।
कुछ दिन बाद दोंनो बच्चे बड़े हो जाते हैं। चिड़िया अब बूढ़ी और कमजोर हो जाती है। दोंनो बच्चे उड़ना सीख चुके थे। एक दिन चिड़िया ने दोंनो बच्चों से कहा – ‘‘अब मैं उड़ नहीं सकती इसलिये तुम दोंनो कल से भोजन की तलाश में जाना और मेरे लिये भी चोंच में दाना भर कर ले आना।’’
लेकिन दोंनो बच्चों को तो घर में बैठ कर खाने की आदत पड़
चुकी थी। वे कैसे जाते चिड़िया का पहला बच्चा बोला – ‘‘मां यहीं पेड़ के नीचे दाना
पड़ा होता है हम वही ले आते हैं आप तो बेकार इतना दूर जाती थीं।’’
यह सुनकर चिड़िया कहती है – ‘‘जब जीवन में रास्ता आसान लगे तो समझ लेना सही नहीं है। मुश्किल रास्ते पर चल कर ही सफलता मिलती है। जब भी मैं घौंसले से उड़ कर जाती थी।
यह दाना मुझे दिखाई देता था। तुम्हें भी दिखाई दे रहा है। लेकिन इसके नीचे जो जाल बिछा है वो तुम नहीं देख पा रहे। शिकारी जाल बिछा कर बैठे हैं।’’
चिड़िया के पहले बेटे ने गौर से नीचे देखा – ‘‘हां मां आप ठीक कह रही हैं। हम कल दूर से दाना लायेंगे।’’
अगले दिन दोंनो दाना लेने के लिये पहली बार घौंसले से दूर चल दिये। उड़ते उड़ते बहुत दूर गांव में एक छत की मुंडेर पर जाकर बैठ गये। सामने दाना भी पड़ा था और पानी का बरतन भी रखा था।
यह देख कर चड़िया के दूसरे बेटे के मुंह में पानी आ गया
बोला – ‘‘भैया हम इतनी दूर आ गये यहां तो बहुत सा दाना पड़ा है। चलो खा लेते हैं
बहुत जोर से भूख लगी है।
यह सुनकर पहले बच्चे ने कहा – ‘‘रुक यहीं बैठ कर देखते हैं याद है मां ने कहा था जहां आसानी से दाना मिले तो समझ लेना कुछ गड़बड़ है।’’
दोंनो कुछ देर वहां बैठ जाते हैं। थोड़ी देर बाद घर का मालिक छत पर आता है। वह देखता है दाना ऐसे ही पड़ा है और पानी भी ऐसे ही पड़ा है। तभी वो अपने लड़के को बुलाता है। और कहता है – ‘‘तुझे मैंने समझाया था यहां ऐसे चिड़िया नहीं फसेगी।’’
तब उसका लड़का बोला – ‘‘पापा यह दाना पानी देख कर पहले दिन
चिड़िया या कबूतर नहीं आयेंगे रोज ऐसे ही पड़ा रहेगा तो वे धीरे धीरे दाना चुगने
आने लगेंगे। उनका डर निकल जायेगा। फिर एक दिन जब बहुत से कबूतर चिड़िया दाना चुग
रहे होंगे तो हम जाल डाल कर पकड़ लेंगे।’’
यह सुनकर चिड़िया के दोंनो बच्चे वहां उड़ गये। आगे उड़ते उड़ते उन्हें जमीन पर थोड़े से दाने दिखाई दिये। तभी उन्होंने देखा एक साधू आगे जा रहे हैं उनकी झोली में एक छोटे से सुराग में से दाने गिर रहे थे।
यह देख कर दोंनो चिड़िया के बच्चे समझ गये कि यहां कोई खतरा नहीं है। दोंनो दाना चुगने गये और दाना चोंच में भर कर एक पेड़ पर बैठ गये।
फिर अपना पेट भर कर उड़ कर साधू के पीछे पीछे गये और जमीन पर बिखरे दाने को चोंच में भर कर वापस अपने घोंसले में आ गये। दोंनो ने आकर अपनी मां को सारी बात बताई।
चिड़िया यह सुनकर बहुत खुश हुई। आज उसके बेटे दाना चुगना सीख गये थे।
अब दोंनो बेटे हर दिन दाना चुगने जाने लगे।
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