बंटी चुहा बहुत होशियार
था। वह एक जंगल में रहता था। उसने अपना एक छोटा सा घर बना रखा था। जंगल के पास एक
घर था उसमें एक छोटा सा बच्चा रहता था।
बंटी चुहाः अरे ये जूते तो बहुत अच्छे हैं मैं इसमें आराम से सो सकता हूं।
बंटी चुहा एक जूते को घसीट कर अपने घर के नीचे ले आता है। दूसरा जूता लाने की उसकी हिम्मत नहीं थी। इसलिये वह उसे ही साफ करके उसमें अच्छे से सोने का बिस्तर बना लेता है।
फूलों से उसे सजाता है। बंटी बहुत खुश रहता था।
जंगल के और जानवर उसे देखने आते थे। जानवर जब उसको देखते तो बंटी चुहा बहुत नखरे में अपने जूते पर चढ़ कर बैठ जाता था।
एक दिन नटखट कबूतर बंटी से मिलने आया।
नटखट कबूतर: बंटी भाई बहुत सुन्दर घर सजाया है, और इस जूते ने तो चार चांद लगा रखे हैं।
बंटी चुहा: सुन भाई नजर मत लगा मैंने बहुत मुश्किल से इसे सजाया है। तुम जैसों की नजर लगी। यह खराब हो जायेगा।
नटखट कबूतर: भाई मैं तो तुम्हें बधाई देने आया था लेकिन लगता है तुम्हारा घमंड तो सातवें आसमान पर है।
बंटी चुहा: मुझे किसी की बधाई की जरूरत नहीं है। मैं जानता हूं तुम सब मुझसे जलते हो क्योंकि तुम बाहर सर्दी झेलते हो और मैं इस जूते में घुस कर आराम से सो जाता हूं।
नटखट कबूतर बिना कुछ कहे उड़ कर वापस चला जाता है। अब बंटी चुहा सारे दिन घूम कर खाना खाता और रात को अपने जूते में आकर सो जाता था।
धीरे धीरे जंगल के सभी
जानवरों से उसने बात करना बंद कर दिया था। अब उसका कोई दोस्त नहीं था। धीरे धीरे
समय बीतने लगा।
एक दिन रात के समय जंगल में तेज बारिश होने लगी। इस सबसे बेखबर बंटी चुहा अपने जूते में आराम से सो रहा था। उसे बाहर के मौसम का पता नही नहीं लगा।
बारिश का पानी बढ़ने लगा। जूते के तले में एक सुराख था। जिससे पानी जूते में भरने लगा कुछ ही देर में बहुत सारा पानी जूते में भर गया। तभी बंटी चुहे की नींद खुली लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
पानी बढ़ता ही जा रहा था। उसे लगा कि वह अब मर जायेगा। बंटी चुहा जोर जोर से चिल्लाने लगा लेकिन बारिश की आवाज में किसी ने उसकी आवाज नहीं सुनी।
बंटी चुहे को अपनी मौत साफ नजर आ रही थी। वह जोर जोर से उछलने लगा। उछलते उछलते वह जूते से बाहर निकलना चाह रहा था। लेकिन जूता इतना लंबा था, कि वह बाहर निकल ही नहीं पा रहा था।इधर दूर एक घोंसले में नटखट कबूतर अपने बच्चों के साथ बैठा था।
नटखट कबूतर: बच्चों लगता है किसी के चिल्लाने की आवाज आ रही है। कोई मुसीबत में है।
उसने बाहर निकल के देखा कि आवाज उस जूते में से आ रही थी। वह तुरन्त समझ गया कि बंटी चुहा जूते में फस गया है।
नटखट कबूतर बिना देर किये किसी तरह उड़ कर वहां पहुंच गया। वह जूते के उपर बैठ गया। उसने देखा बंटी चुहा डूब रहा है।
बंटी चुहा: कबूतर भाई मुझे बचा लो नहीं तो मैं मर जाउंगा।
नटखट कबूतर: क्यों तुम्हें तो इस जूते के सिवा किसी की जरूरत नहीं थी।
बंटी चुहा: भैया बचा लो मैं घमंड में आ गया था।
यह सुनकर नटखट कबूटर उसे अपनी चौंच से पकड़ कर खीचने लगा। लेकिन बंटी चुहे का वजन ज्यादा था नटखट कबूतर उसका वजन उठा नहीं पा रहा था।
नटखट कबूतर: भाई रुको मैं अभी बाकी जानवरों को बुला कर लाता हूं।
नटखट कबूतर जंगल में जाता है लेकिन सभी जानवर बंटी चुहे की मदद के लिये मना कर देते हैं।
तभी रास्ते में उसे कालू कौवा मिलता है। वह उसके साथ आ जाता है।
दोंनो मिल कर बंटी चूहे की एक एक टांग चौंच में दबा कर उड़ जाते हैं और उसे उपर बने घर में रख देते हैं।
बंटी चुहा अपने किये पर बहुत पछताता है।
अगले दिन वह जूते को खींच कर उल्टा कर देता है। उससे उसका पानी निकल जाता है। उसके बाद वह उस जूते को घसीट कर ले जाता है और नदी में फेंक देता है।
यह देख कर नटखट कबूतर और कालू कौवा बहुत खुश होते हैं।
फिर बंटी चुहा सब जानवरों के पास जाकर सबसे माफी मांगता है।
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