घरों में रहने वाली बिल्लियों को बहुत मार पड़ती थी। कभी दूध के लिये। जैसे बिल्ली को भूख लगती थी तो वह चुपचाप दूध पी जाती।
जब उसके मालिक या मालकिन को ये सब पता लगता। तो वो उसे बहुत
मारते थे।
इसी तरह बिल्ली जब घूमने जाती थीं तो, हर इंसान उन्हें देख कर
मुंह बनाता था, कि बिल्ली ने
रास्ता काट दिया अब क्या होगा।
एक दिन सारी बिल्लियों ने एक सभा बुलाई। उसमें यह निर्णय
लिया गया कि इंसानों से दूर हम अपना एक अलग शहर बसायेंगे। जहां हम कभी इंसानों को
नहीं आने देंगे।
यही सोच कर बिल्लियों ने अपना एक नया शहर बसाया। इंसानों के
बीच में इतने सालों तक रहकर बिल्लियों ने बहुत कुछ सीखा था। इसलिये उन्होंने
इंसानों की हर सुविधा उस शहर में रखी।
सभी बिल्लियां मजे से इंसानों की तरह रहने लगी। एक बिल्ली
को उन्होंने अपनी रानी घोषित कर दिया। उसके साथ कुछ और बिल्लियों ने पूरे शहर को
सही से चलाने के लिये कुछ कानून बना दिये। जिनका पालन करना सबके लिये अनिवार्य था।
इसी शहर के एक फ्लेट में चिंकी और मिंकी नाम की दो बहने
अपनी शालू मौसी के साथ रहती थीं। चिंकी और मिंकी की मां नहीं थी। शालू मौसी ने ही
उन दोंनो को पाला था।
दोंनो बहने बहुत शरारती थीं। एक दिन शालू मौसी ने सुबह सुबह
आवाज लगाई।
शालू मौसी: तुम दोंनो सोती ही रहोंगी। आज महीने की पहली
तारीख है। शॉपिंग करने जाना है कि नहीं। घर का सारा राशन खत्म हो गया।
चिंकी: मौसी सोने दो न बड़ी मुश्किल से तो स्कूल से छुट्टी
मिली है।
लेकिन शालू मौसी को गुस्सा होते देख कर मिंकी ने जल्दी से
उठ कर चिंकी से कहा-
मिंकी: जल्दी से उठ जा नहीं तो मौसी यहीं आ जायेंगी। चल न
शॉपिंग पर चलते हैं। मैंने पिछले महीने एक ड्रेस देखी थी। आज तो मैं खरीद कर ही
छोड़ूंगी।
चिंकी: अरे लेकिन मौसी कहां दिलवायेंगी। वो तो एक नम्बर की
कंजूस हैं। घर का राशन खरीदने के बाद कह देंगी। पैसे खत्म हो गये।
मिंकी: तू चल तो सही मैंने कुछ पैसे जमा कर रखे हैं। कुछ हम
मौसी से ले लेंगे कोई न कोई बहाना बना कर।
शालू मौसी के साथ चिंकी मिंकी एक बड़े से मॉल में पहुंच
जाती है। मॉल के दूसरी तरफ कपड़ों की दुकाने थीं। चिंकी और मिंकी मौसी को छोड़ कर
वहां पहुंच जाती हैं और अपनी पसंद की ड्रेस पहन कर देखने लगती है।
मिंकी: चिंकी देख ये ड्रेस मुझे पसंद है।
दोंनों एक एक ड्रेस पसंद कर लेती हैं। मिंकी कुछ पैसे दे
देती है। इधर चिंकी मौसी से जाकर कहती है –
चिंकी: मौसी वहां बहुत सस्ती ड्रेस मिल रहीं हैं। कुछ पैसे
दे दो। एक के साथ दो फ्री मिल रहीं हैं।
शालू मौसी: क्या तू सच कह रही है। ये ले पैसे दोंनो अच्छी
ड्रेस खरीद लेना।
चिंकी और मिंकी ड्रेस खरीद कर बाहर आती हैं, तो देखती हैं। बाहर शालू
मौसी खड़ी हैं और उनके पास बहुत भीड़ लगी थी।
वो जल्दी जल्दी पहुंची।
शालू मौसी: हां देखो ये दोंनो कितनी अच्छी ड्रेस पहने हैं।
बेटी इन्हें भी बता दो कौन सी दुकान पर एक के साथ दो ड्रेस फ्री मिल रही हैं।
मैंने सबको फोन करके बुला लिया है।
चिंकी और मिंकी की हालत खराब हो गई। छोटा सा झूठ उनके लिये ऑफत बन गया था। उसे छिपाने के लिये उन्होंने एक और झूठ बोला
मिंकी: अरे मौसी वो तो खत्म हो गईं। सब ले गये।
लेकिन शालू मौसी नहीं मानी और दोंनो को लेकर उस दुकान में
पहुंच जाती हैं।
दुकानदार उन्हें सारी सच्चाई बता देता है। शालू मौसी बहुत
गुस्सा होती हैं। फिर वो सबसे माफी मांगती हैं।
सबके जाने के बाद वो दोंनो को लेकर घर आ जाती हैं।
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