दोस्ती और मेहनत की मिसाल

बचपन की बात है। महेश नाम का एक लड़का था, जो एक छोटे से गाँव में रहता था। उसका दिल साफ और नीयत नेक थी, लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उसके माता-पिता खेतों में काम करते थे और घर का खर्चा बड़ी मुश्किल से चल पाता था। वह गरीबी से परेशान थे।



 महेश (Mahesh) का सबसे अच्छा दोस्त था मोहन। मोहन का परिवार थोड़ा संपन्न था, लेकिन दोनों की दोस्ती में कभी कोई फर्क नहीं आया। दोनों हमेशा साथ में स्कूल जाते, खेलते और एक-दूसरे की मदद करते थे। वे दोनों साथ मिलकर खूब मस्ती करते बिना अमीरी और गरीबी की किसी दीवार के।

महेश (Mahesh) का एक सपना था कि वह बड़ा होकर डॉक्टर बने और गाँव के लोगों की मदद करे। लेकिन उसके घर की हालत देखते हुए यह सपना बहुत दूर की बात लगती थी। एक दिन, स्कूल में एक घोषणा हुई कि सरकार एक प्रतियोगिता का आयोजन कर रही है, जिसमें प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले छात्र को पूरी शिक्षा का खर्च उठाया जाएगा। रमेश ने इस प्रतियोगिता में भाग लेने का निर्णय लिया।

महेश ने दिन-रात मेहनत शुरू कर दी। मोहन भी उसकी मदद करता और दोनों मिलकर पढ़ाई करते। रमेश की माँ भी उसे हर तरह से प्रोत्साहित करती थी। रमेश के पिता ने भी खेतों में थोड़ा ज्यादा काम करना शुरू कर दिया ताकि महेश को पढ़ाई के लिए आवश्यक किताबें और साधन मिल सकें। महेश के माता पिता उसे बहुत प्रोत्साहित जिस से उसे पढ़ने में और बल मिलता।

परीक्षा का दिन आ गया। प्रोत्साहित ने पूरी मेहनत और लगन से परीक्षा दी। कुछ हफ्तों बाद परिणाम घोषित हुए। महेश ने प्रथम स्थान प्राप्त किया था! पूरे गाँव में खुशी की लहर दौड़ गई। महेश के माता-पिता की आँखों में आँसू आ गए। मोहन भी बहुत खुश था और उसने रमेशको गले लगा लिया। आज मोहन के दोस्त महेश ने उनकी दोस्ती और भी ऊंची कर दी थी मोहन बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा था ऐसा दोस्त पाकर।

महेश की शिक्षा का खर्चा अब सरकार उठा रही थी। वह अच्छे स्कूल में दाखिल हुआ और पूरी मेहनत से पढ़ाई करने लगा। मोहन भी महेश की इस सफलता से प्रेरित होकर और मेहनत करने लगा। दोनों ने अपने-अपने सपनों को साकार करने की ठान ली।

सालों बाद, रमेश एक सफल डॉक्टर बन गया और उसने अपने गाँव में एक छोटा सा अस्पताल खोला। वह लोगों की मुफ्त में चिकित्सा करता और उनकी सेवा करता। मोहन ने भी अपनी पढ़ाई पूरी कर एक इंजीनियर बनकर गाँव में विकास के कार्यों में योगदान दिया। दोनों ने मिलकर अपने गाँव को एक आदर्श गाँव बना दिया।

महेश (Mahesh) की मेहनत, मोहन की दोस्ती और माता-पिता के बलिदान ने मिलकर एक छोटी सी कहानी को अद्भुत बना दिया। यह कहानी इस बात का उदाहरण है कि अगर सच्ची लगन और मेहनत हो तो कोई भी सपना साकार हो सकता है।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिनाइयों का सामना करते हुए भी अगर हम अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें, तो सफलता अवश्य मिलती है। दोस्ती और परिवार का साथ हमें हर मुश्किल से लड़ने की ताकत देता है। महेश और मोहन की कहानी हर उस व्यक्ति को प्रेरणा देती है, जो अपने सपनों को साकार करने का हौसला रखता है। 


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Bed time stories for kids in hindi

बच्चों के लिए रोचक बेडटाइम कहानियाँ (story ) उनकी नींद को मिठास और सुखद बना देती हैं। यह कहानियाँ (stories ) उन्हें नये सपनों की उड़ान भरने का साहस और उत्साह प्रदान करती हैं। bed time stories  न केवल कहानियों हैं, बल्कि एक जादुई परंपरा हैं जो बच्चों के विकास में अत्यधिक महत्व रखती है। ये कहानियाँ एक शांत वातावरण बनाती हैं, दिन को एक शांत स्वर में समाप्त करती हैं, और मिठे सपनों के रास्ते को साफ करती हैं।

माता-पिता या अभिभावक के रूप में, bed time stories कहना बच्चों के साथ संबंध बनाने का एक अनमोल अवसर प्रदान करता है। यह एक समय है जब कल्पनाएँ विकसित होती हैं

आज की तेजी से बदलती दुनिया में, जहाँ स्क्रीन्स अक्सर अवकाश का समय नियंत्रित करती हैं, bed time stories परंपरा एक सदाबहार गर्माहट और एकता का प्रतीक है। यह एक डिजिटल शोर के बीच से एक विश्वासनीय और एकसाथ वाले समय का एक विशेष पल है, जहाँ केवल कल्पना की हलकी चमक है।

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