सोनी चिड़िया अपने घर में
अपने दोंनो छोटे बच्चों को खाना खिला रही थी। तभी उसने ठक ठक की आवाज सुनी उसने
बाहर आकर देखा को कुटकुट कबूतर अपना नया घर सजा रहा था।
सोनी: अरे कुटकुट भाई यह
तो बहुत सुन्दर घर है। लेकिन अचानक यह कहां से आ गया कलतक तो तुम पुराने घर में
रहते थे।
कुटकुट: बस कुछ नया करो
तो ये आजाते है नजर लगाने खबर दार जो मेरे घर को नजर लगाई। यह नया प्लास्टिक का घर
मैंने शहर से मंगवाया है। इस पर पानी का कोई असर नहीं होता बरसात में तुम्हारे घर
में पानी टपकता है। अब तुम परेशान रहो मैं मजे से घर में बैठ कर बारिश का मजा
लूंगा।
सोनी: मुझे भी बता दो
कहां से लाये हो और कितने पैसे लग गये इसे खरीदने में।
कुटकुट: तुझे क्यों बता
दूं वैसे भी यह बहुत मंहगा है। इसे खरीदना तेरे बस का नहीं है। चल भाग यहां से
मुझे आराम करने दे।
सोनी चिड़िया वापस अपने
घर आ जाती है। वह अपने घर को देखती है।
सोनी: मेरे घर की छत
कमजोर है बरसात में पानी टपकता रहेगा मेरे बच्चे भीग कर बीमार हो जायेंगे मुझे भी
प्लास्टिक का घर लेना चाहिये।
अगले दिन सोनी चिड़िया
पूरे गॉव में घूम कर वापस घर आती है। उसकी बच्चिया चुन्नु और मुन्नु उसका इंतजार
कर रही थीं।
चुन्नु: मॉं आज तुम सारा
दिन कहां थी हमें भूखे रहना पड़ा
सोनी: बेटी मैं आज सारा
दिन प्लास्टिक के घर के बारे में पता करती रही लेकिन इसकी बारे में किसी को कुछ
नहीं पता। मैं तुम्हारे लिए भी प्लास्टिक का घर लाना चाहती हूं। कल मैं सुबह
तुम्हें खाना खिला कर शहर जाउंगी वहीं मिलेगा यह घर।
अगले दिन सोनी चिड़िया
शहर पहुंच जाती है।
वहां उसे एक दुकान पर
प्लास्टिक के घर रखे दिखाई देते हैं।
सोनी: अरे मिट्ठू भाई
मुझे यह घर खरीदना है।
मिट्ठू तोता: बहन यह घर
पांच सौ रुपये का है।
सोनी: इतना महंगा मेरे
पास तो इतने पैसे नहीं है। क्या कुटकुट कबूतर यहीं से घर खरीद कर ले गया था।
मिट्ठू तोता: उस बदमाश का
नाम मत लो बहन वह दो सो रुपये देकर घर ले गया और कहने लगा कल तीन सौ रुपये दे
जायेगा लेकिन आज तक नहीं आया।
सोनी: भैया वह बहुत घमंडी
है। सीधे रस्ते से पैसे नहीं देगा मेरे पास एक उपाय है उससे तुम्हारे पैसे निकल
आयेंगे।
मिट्ठू तोता: हां हां
बताओ मुझे क्या करना होगा।
सोनी: वह तो मैं बता
दूंगी लेकिन बदले मैं तुम्हूं मेरी मदद करनी होगी। मेरे पास 300 रुपये हैं यह घर
मुझे दे दो मैं अगले महीने पूरे पैसे दे जाउंगी।
मिट्ठू तोता: नहीं नहीं
वो मक्कार कुटकुट पहले ही चूना लगा गया अब तुम आई हों चूना लगाने
सोनी: भाई मैं उसकी तरह
बेइमान नहीं हूं तुम मुझ पर विश्वास करो मुझे यह घर दे दो कल ही कुटकुट कबूतर
तुम्हारे पैसे दे देगा और अगले महीने मैं पूरे पैसे चुका दूंगी।
मिट्ठू तोता उसे घर दे
देता है। अगले दिन कुटकुट कबूतर सुबह उठ कर बाहर आता है। वह सोनी चिड़िया का नया
घर देख कर हैरान रह जाता है।
मिट्ठू: अरे सोनी बहन यह
घर क्या तुम शहर से लाई हों।
सोनी: नहीं भैया मैं कहां
शहर का रस्ता जानती हूं यहीं एक घर बेचने वाला आया था। उसी से एक हजार में खरीद
लिया। अब तो गॉव के सभी पक्षी ऐसा ही घर खरीदना चाहते हैं लेकिन वह घर बेचने वाला
आया ही नहीं।
यह सुनकर कुटकुट कबूतर
सोच में पड़ जाता है।
कुटकुट: अगर में शहर से
पांच सो का घर खरीद कर गॉव में बेचूं तो मुझे 500 रुपये बचेंगे।
यह सोचकर वह शहर मिट्ठू
तोते की दुकान पर पहुंच जाता है।
मिट्ठू तोता: अरे बेईमान
तू तो कल पैसे देने वाला था आज इतने दिनों बाद आया है।
कुटकुट: अरे मिट्ठू भाई
नाराज क्यों होते हो यह लो बाकी के 300 रुपये और यह 500 अलग से मुझे एक घर और दे
दो। मैंने नया बिजनिस शुरू किया है मैं तुमसे घर लेकर गॉव में बेचूंगा तुम्हें भी
फायदा और मुझे भी।
मिट्ठू तोता: ठीक है
लेकिन एक बार घर खरीदने पर मैं उसे वापस नहीं लूंगा।
कुटकुट कबूतर घर लेकर चला
जाता है।
मिट्ठू तोता: लगता है
पैसे निकलवाने का जो उपाय सोनी बहन ने बताया था वह काम कर गया।
उधर कुटकुट कबूतर घर को
लेकर गॉव में पहुंचता है।
कुटकुट: घर ले लो वाट्र
प्रुफ घर केवल 1000 रुपये में
वह पूरे गॉव में आवाज
लगाता है लेकिन उसका घर नहीं बिकता।
शाम को वह अपने घर
पहुंचता है।
कुटकुट: अरे सोनी बहन मैं
तो पूरे गॉव में घूम आया लेकिन किसी ने घर नहीं खरीदा।
सोनी: कुटकुट भाई 500 का
घर 1000 में कौन खरीदेगा मैंने पहले ही सब को बता दिया यह घर 500 का शहर में
मिट्ठू तोते की दुकान पर बिकता है। तुमने उसके साथ बेईमानी की यह उसी का नतीजा है।
कुटकुट: बहन मेरे मन में
लालच आ गया था। अब किसी तरह यह घर बिकवा दो मैंने तो सारे पैसे इसे खरीदने में लगा
दिये अगर यह नहीं बिका तो मैं भूखा मर जाउंगा।
सोनी: ठीक है यह घर 500
में कालू कौऐ को दे दो मैंने उससे बात कर ली है। और हां आगे से बेइमानी नहीं करना।
कुटकुट कबूतर सुधर जाता
है।
अगले महीने सोनी चिड़िया
मिट्ठू तोते के पैसे चुका देती है।
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