निष्क्रिय जीवन शैली , शराब और धूम्रपान दिल की बीमारियों का सबसे बड़ा कारण


नोएडा, 29 सितंबर(वार्ता)  भारत में युवाओं में दिल के दौर पड़ने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और निष्क्रिय जीवनशैली, शराब, जंक फूड का सेवन तथा धूम्रपान के कारण हृदय की मांसपेशियां समय के साथ सख्त हो जाती हैं। इसके कारण यह रक्त को  पंप करने में असमर्थ हो जाता है, जिससे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की मात्रा सीमित हो जाती है।

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जेपी अस्पताल नोएडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और निदेशक (कार्डियक सर्जरी) डॉ. मनोज लूथरा ने बुधवार को बताया कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से, दुनिया भर में अधिक लोग घर से काम कर रहे हैं। यह उपाय वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए महत्वपूर्ण रहा है, लेकिन इसके कुछ दुष्प्रभाव भी हैं। महामारी में, यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है, क्योंकि घर से काम करने से लोगों को अपने कंप्यूटर स्क्रीन के सामने लंबे समय तक रहना पड़ता है। आजकल, न केवल काम के घंटे अत्यधिक लंबे हो गए हैं, बल्कि काम पर तनाव तेजी से बढ़ गया है। काम के लिए अधिक समय अक्सर स्वास्थ्य को प्रभावित करता है| काम के लिए विश्व स्तर पर एक दूसरे से जुड़े लोग निर्धारित समय के बाद भी घंटो काम में व्यस्त रहते हैं। यह सब शरीर में हानिकारक तनाव प्रतिक्रियाओं को बढ़ावा देता है,।

उन्होंने बताया कि हार्ट फेलियर के अधिकांश रोगियों का निदान उनके प्रथम बार अस्पताल में भर्ती होने के समय हो जाता है। स्पष्ट रूप से गतिहीन जीवन शैली, बढ़ता तनाव का स्तर, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, तंबाकू का सेवन, मधुमेह और प्रदूषण भारत में अधिक से अधिक लोगों को हृदय रोगों की चपेट में ले रहा हैं। तनाव परीक्षण, कोरोनरी कैल्सीफिकेशन या सी.टी, एडवांस्ड लिपिड की जांच सी.आर.पी आदि जाँचों की मदद से  हृदय रोग होने का पता लगाया जा सकता है। लोगों को अपने दिल को स्वस्थ रखने के लिए तीन नियम - 30-40 मिनट दैनिक व्यायाम, संतुलित आहार और सकारात्मक मानसिकता का पालन करना चाहिए।

विश्व हृदय दिवस हर साल 29 सितंबर को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य हृदय रोगों के बारे में जागरूकता को बढ़ाना और हृदय रोगों को नियंत्रित करना है। हृदय रोग (सी.वी.डी) विश्व स्तर पर मृत्यु का सबसे आम कारण है। वर्ष 2016 में सी.वी.डी से अनुमानित 1़ 79 करोड़ लोगों की मृत्यु हुई, जो विश्व स्तर पर हुई कुल मौतों का 31 प्रतिशत था और  इनमें से 85 फीसदी मौतें हार्ट अटैक और स्ट्रोक के कारण हुईं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ) ने पाया कि लंबे समय तक काम करने से हृदय रोग और स्ट्रोक से होने वाली मौतें बढ़ रही हैं। एनवायरनमेंट इंटरनेशनल में प्रकाशित डब्ल्यूएचओ और इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन के अनुमानों के मुताबिक, 2016 में लंबे समय तक काम करने से स्ट्रोक और इस्केमिक हृदय रोग से 7,45,000 लोगों की मौत हुई, जो 2000 के बाद से 29 प्रतिशत अधिक है।

 Source: जितेन्द्र वार्ता


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