Heart day 2021: एक्सपर्ट के मुताबिक, महिलाओं को अपनी सेहत का ध्यान रखने के लिए खुद सक्रिय होना चाहिए. जानें यह जरूरी जानकारी...
मासिक धर्म के द्वारा महिला के स्वास्थ्य के बारे में बहुत कुछ जाना जा सकता है. महिलाओं में यौवनारंभ (Puberty) और रजोनिवृत्ति (Menopause) के बीच नियमित पीरियड्स होने का मतलब है कि उनका शरीर सामान्य रूप से कार्य कर रहा है. लेकिन अनियमित पीरियड्स या दर्दनाक पीरियड्स जैसी मासिक धर्म से जुड़ी दिक्कतें गंभीर स्वास्थ्य समस्या की तरफ इशारा कर सकती हैं. पीरियड्स से जुड़ी समस्याएं कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण भी बन सकती हैं, जैसे- गर्भवती होने में परेशानी होना, आदि. चूंकि, आपका शरीर बुढ़ापे और रजोनिवृत्ति की तरफ बढ़ता है, तो इस दौरान हॉर्मोन लेवल में होने वाले बदलाव दिल की बीमारियों का खतरा कम या ज्यादा कर सकते हैं.
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डॉ. बी. एल. अग्रवाल इसके पीछे देश में सेक्शुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ के बारे में जागरुकता की कमी को देखते हैं. उनका कहना है कि पीसीओएस से ग्रसित महिलाओं को महीने में दो बार भी पीरियड्स आते हैं या फिर अनियमित रूप से आते या फिर महीने में एक बार भी नहीं आते. वहीं, पीरियड्स के दौरान ब्लीडिंग हल्की या भारी भी हो सकती है. यह ब्लीडिंग इतनी भारी भी हो सकती है कि महिलाओं में एनीमिया का कारण बन जाए. बता दें कि एनीमिया यानी खून की कमी कई भारतीय महिलाओं को प्रभावित करती है और उनके दिल के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है.
- मेंस्ट्रुअल साइकिल (Menstrual Cycle) में हो रहे बदलाव को ट्रैक करके किसी भी स्वास्थ्य समस्या के खतरे को पहले ही भांपा जा सकता है.
- अगर किसी हेल्थ कंडीशन की फैमिली हिस्ट्री है, तो आपको ज्यादा सतर्क रहना चाहिए.
- हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं. जिसमें नियमित एक्सरसाइज करना, संतुलित वजन रखना और संतुलित डाइट का सेवन पीसीओएस और उससे जुड़े स्वास्थ्य खतरों को कम करने में मदद करते हैं.
- पीसीओएस से ग्रसित महिलाओं में डिप्रेशन, एंग्जायटी डिसऑर्डर्स, ईटिंग डिसऑर्डर्स और सेक्शुअल डिस्फंक्शन होने का खतरा ज्यादा होता है. इसलिए इस तरफ भी उन्हें ध्यान रखना चाहिए.